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वर्गीकरण
राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के लिए सभी संरक्षित स्मारकों और संरक्षित क्षेत्रों का वर्गीकरण करना अधिदेशित है जिन्हें 'प्राचीन संस्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और विधिमान्यकरण) अधिनियम, 2010' की धारा 20 I के प्रावधान के अनुसार राष्ट्रीय महत्व के स्मारक और क्षेत्र घोषित किया गया है और अगस्त, 2011 में अधिसूचित राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण नियम 4-क (1) (2) में इस कार्यविधि की परिकल्पना की गई है, जिसे नीचे पुन: प्रस्तुत किया गया है।
बढ़ते नगरीकरण, विकास, वृद्धि एवं जनसंख्या के बढ़ते दबाव से, भूमि पर दबाव बढ़ रहा है जिसमें केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के समीपस्थ भूमि भी सम्मिलित है। चूंकि इससे प्राय: स्मारकों/ स्थलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि एक ओर लोगों की आवश्यकताओं और विकास एवं वृद्धि और दूसरी ओर इन स्मारकों के संरक्षण और परिरक्षण की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाते हुए केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के समीपस्थ इस प्रकार का विकास भलीभांति विनियमित किया जाए।
"4क (1) केंद्र सरकार, प्राधिकरण की संस्तुति पर, धारा 3 और 4 के तहत राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित प्राचीन स्मारकों या पुरातात्विक स्थलों और पुरावशेषों के संबंध में श्रेणियां निर्धारित करेगी और इन श्रेणियों का निर्धारण करते समय यह उनके ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं वास्तुकला संबंधी महत्व व ऐसे अन्य कारकों पर विचार करेगी जो ऐसे वर्गीकरण के प्रयोजनार्थ प्रासंगिक हों।
(2) केंद्र सरकार, प्राधिकरण की संस्तुति पर, उपधारा (1) के तहत निर्धारित श्रेणियों के अनुसार धारा 3 और 4 के तहत राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित प्राचीन स्मारकों या पुरातात्विक स्थलों और पुरावशेषों का वर्गीकरण करेगी और इन्हें अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित करके और अन्य विधि से भी, जैसा उचित समझे, जनता को उपलब्ध कराएगी।
राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण के कार्यों और शक्तियों के संबंध में इसमें अधिनियम के अनुच्छेद 20-I में अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रावधान किया गया है कि: -
"(1) प्राधिकरण निम्नलिखित शक्तियों या कार्यों का निष्पादन या निर्वहन करेगा, अर्थात्: -
- धारा 3 और 4 के अन्तर्गत राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित और प्राचीन संस्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और विधिमान्यकरण) अधिनियम, 2010 लागू किए जाने से पहले धारा 4 के तहत राष्ट्रीय महत्व के रूप में घोषित संरक्षित स्मारकों और संरक्षित क्षेत्रों को श्रेणीकरण एवं वर्गीकृत करने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश करना।"
- ऐसे संरक्षित स्मारकों और संरक्षित क्षेत्रों के श्रेणीकरण और वर्गीकृत करने के लिए केंद्र सरकार को संस्तुत करना, जिन्हें प्राचीन संस्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष (संशोधन और विधिमान्यकरण) अधिनियम, 2010 के लागू किए जाने के बाद धारा 4 के तहत राष्ट्रीय महत्व वाला घोषित किया जाए।"
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राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संबंधित मंडलों से सूचना प्राप्त करने और कई चरणों में बैठकों एवं विचार-विमर्श के बाद भोपाल, चंडीगढ़, दिल्ली, कोलकाता और वडोदरा मंडल के 915 केन्द्रीय संरक्षित स्मारकों का वर्गीकरण किया है और ये अधिसूचना जारी करने के लिए विचाराधीन है।